अरविंद केजरीवाल अब ईडी की हिरासत में हैं। वह मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जेल जाने वाले पहले नेता बन गए हैं। उनकी गिरफ्तारी से पहले ईडी ने केजरीवाल को 9 समन भेजे थे, जिन्हें उन्होंने नजरअंदाज कर दिया।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है। ईडी ने केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी घोटाला मामले का ‘किंगपिन’ यानी मुख्य साजिशकर्ता बताया है। हालांकि, केजरीवाल ने दलील दी कि इस मामले से उनके जुड़े होने का कोई सीधा सबूत नहीं है।
अरविंद केजरीवाल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं है क्योंकि 80 फीसदी लोगों ने अपने बयानों में दिल्ली के सीएम का नाम नहीं लिया है। ईडी का आरोप है कि शराब नीति में केजरीवाल सीधे तौर पर शामिल थे। शराब नीति इस तरह बनाई गई कि इससे रिश्वत लेने का रास्ता खुल गया।
पहले जानिए क्या थी दिल्ली की नई शराब पॉलिसी
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी। इस नई नीति के तहत राजधानी का पूरा शराब कारोबार निजी कंपनियों को सौंप दिया गया। दिल्ली सरकार सामने आई है। केजरीवाल सरकार ने दावा किया कि नई नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
इससे पहले दिल्ली में शराब की बिक्री के लिए दो तरह के लाइसेंस दिए जाते थे- एल1 और एल10। एल-1 लाइसेंस उन दुकानों को दिया गया था जो डीडीए अनुमोदित बाजारों, स्थानीय विपणन केन्द्रों, सुविधाजनक विपणन केन्द्रों, जिला केन्द्रों और सामुदायिक केन्द्रों में थीं। एल 10 लाइसेंस उन दुकानों को दिया गया था जो शॉपिंग मॉल में स्थित थीं।
नई शराब नीति को मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली में सरकारी शराब की दुकानें बंद कर दी गईं। राजधानी को 32 क्षेत्रों में विभाजित किया गया था। प्रत्येक जोन में शराब की 27 दुकानें थीं। प्रत्येक वार्ड में 2 से 3 विक्रेताओं को शराब बेचने की अनुमति दी गई थी। हालाँकि यह नीति शुरुआत से ही विवादों में रही और आठ महीने बाद आखिरकार 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई नीति को रद्द कर दिया।
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